तारीख: 4 जनवरी, 2024 से 8 जनवरी 2024 तक

कपिंग थेरेपी का महत्व:

  1. कपिंग थेरेपी क्या है?
    कपिंग थेरेपी एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा विधि है, जिसे अलाबु चिकित्सा भी कहा जाता हैं, अलाबू का अर्थ है गोल लौकी/तुम्बी , नाम इसका ऐसा इसलिए पडा क्योंकि इसमें प्रयोग होने वाला पात्र (इक्विपमेंट) गोल लौकी समान हुआ करता था, आधुनिकरण और समय जैसे जैसे बदलता गया इस पात्र का भी आधुनिकरण होता गया, आज वर्तमान समय में अलाबू के जगह रेडीमेड थेरेपी कप्स का उपयोग किया जाने लगा, यही कारण है की अब इसे कपिंग थेरेपी के नाम से जाना जाता है।जिसमें अलग अलग आकार एवम मैटेरियल से बने कप को वैक्यूम के माध्यम से शरीर पे लगाया जाता है।
    इस थेरेपी का प्रचलन हमारे ही देश में नहीं अपितु कई अन्य देशों में भी किया जाता है।
  1. उपयोग क्षेत्र:
    इस थेरेपी का विशेष उपयोग जोड़ों के दर्द और स्थिरता, साथ ही अन्य हड्डी संबंधित समस्याओं में होता है। इसे ओलंपिक गेम्स में कई तैराक खिलाडियों ने भी प्रयोग अपने मसल को फिट रखने के लिए किया था। आजकल जिम में ही मसल बिल्डिंग को अच्छा एवम फिट रखने के लिए भी इसका बढ़ता चलन देखने को मिल रहा।
  2. प्रशिक्षण का उद्देश्य:
    यह प्रशिक्षण केवल आयुर्वेदिक डॉक्टर्स के लिए है, ताकि वे इस अदभुत एवम प्राचीन थेरेपी में दक्षता हासिल कर अपने रोगियों को बेहतर चिकित्सा प्रदान कर सकें।
  3. डॉ. पल्लव प्रजापति की मुख्यधारा:
    चैतन्य आयुर्वेद क्लिनिक के संस्थापक एवम आयुर्वेद फेडरेशन ऑफ इंडिया के छात्र प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पल्लव प्रजापति जी द्वारा यह प्रशिक्षण डॉ. रूपेश सोनी एवम डॉ. आदर्श कुमार जी को दिया गया।

जिससे डॉक्टर्स को इस विशेष थेरेपी के माध्यम से रोगियों को बेहतर चिकित्सा प्रदान करने के लिए उच्च कौशल प्राप्त हुआ।

  1. हड्डी संबंधित समस्याओं में उपयोग:
    कपिंग थेरेपी के एक्सपर्ट डॉ पल्लव प्रजापति का कहना है की इसका उपयोग हड्डी संबंधित समस्याओं में, जैसे कि जोड़ों के दर्द, स्थिरता, जकड़न, भारीपन ,सर्वाइकल, कमर दर्द, डिस्क समस्या, स्काइटिका आदि रोगों को ठीक करने में किया जाता है।

सूचना स्त्रोत: चेतन्य आयुर्वेद क्लिनिक

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