मुगलसराय । जैनों के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर जयंती के अवसर पर स्थानीय कैलाशपुरी स्थित जैन मंदिर से जैन समुदाय के लोगों द्वारा रविवार प्रातः प्रभात फेरी निकाली गई। पूरे नगर भ्रमण के उपरांत प्रभात फेरी पुनः जैन मंदिर जाकर समाप्त हुई। जैन पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान महावीर जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर हैं। महावीर जयंती जैन समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। जैन धर्मावलंबियों द्वारा इसे भारत सहित दुनिया भर में धूमधाम से मनाया जाता है। जैन ग्रंथों और धार्मिक लिपियों के अनुसार भगवान महावीर का जन्म चैत्र माह (हिंदू कैलेंडर) के शुक्ल पक्ष के 13 वें दिन बिहार की राजधानी पटना से कुछ किलोमीटर दूर कुंडलग्राम (अब कुंडलपुर) में हुआ था। उस समय वैशाली राज्य की राजधानी मानी जाती थी। उनके माता-पिता – राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला ने उनका नाम वर्धमान रखा था।30 वर्ष की आयु में ही सत्य की खोज में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। लगातार 12 वर्षों तक तपस्वी जीवन व्यतित कर सत्य और अहिंसा का प्रचार करते रहे। इंद्रियों को वश में करने की असाधारण शक्ति के वजह से ही उनका नाम महावीर पड़ा। 72 वें वर्ष में उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। उनकी जयन्ती के अवसर पर सर्वप्रथम रविवार प्रातः कैलाशपुरी स्थित जैन मंदिर पहुंचे जैनी महिलाओं व पुरुषों ने सर्वप्रथम महावीर जी मूर्ति को सुगंधित तेलों से धोकर उनकी पूजा की ततपश्चात फूल माला से सजे रथ पर भगवान महावीर का तैलचित्र रखकर प्रभात फेरी निकाली गई। प्रभात फेरी कैलाशपुरी ने निकलकर जीटीरोड गुरुद्वारा, नई सट्टी,सपा कार्यालय से वापस होकर नगर नगर भ्रमण करते हुये न्यू महाल रविनगर होकर पुनः जैन मंदिर पर आकर समाप्त हुई। इस अवसर पर जैन समुदाय से बंटी जैन ,प्रवीण जैन,अविनाश जैन, नरेश जैन, , राजेंद्र जैन, आर के जैन, राजेंद्र जैन सहित दर्जनों महिलाएं मौजूद रहीं।

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