रिपोर्ट: अशोक कुमार जायसवाल


वाराणसी ब्यूरो :: आंखों को खोलने के लिए पर्याप्त है विहंगम दृश्यकथा के विहंगम दृश्य को देख सीएम ने कहा कि सतुआ बाबा ने ऐसे स्थल का चयन किया कि जहां बाबा विश्वनाथ, बाबा भैरवनाथ, मां गंगा व अन्नपूर्णा के दर्शन हो जाएं। यहां सिर्फ भक्त ही नहीं, बल्कि साक्षात देवाधिदेव बाबा विश्वनाथ, कालभैरव, मां गंगा व मां अन्नपूर्णा भी कथा सुन रही हैं। इतना विहंगम दृश्य, उन लोगों के लिए जवाब है, जो हमें जाति, क्षेत्र, भाषा आदि तमाम वादों के नाम पर बांटते हैं। इस कथा का विहंगम दृश्य उनकी आंखों को खोलने के लिए पर्याप्त है।

सीएम योगी ने कहा कि जिस पवित्र पीठ को व्यास पीठ कहते हैं, वह वेदव्यास की पवित्र परंपरा है। भगवान वेदव्यास ने चारों वेदों का संग्रह करके आने वाली पीढ़ी को दिया। गुरु-शिष्य की परंपरा वेदों के संरक्षण के लिए कैसे बननी है। इसे भी भगवान वेदव्यास ने दिया। महाभारत जैसे एक लाख श्लोकों का महाप्रबंधन काव्य की टीम का नेतृत्व दिया। श्रीमद्भागवत महापुराण जैसा ज्ञान भक्ति व वैराग्य की अद्भुत त्रिवेणी यानी जीवन की सफलता का रहस्य जिसमें छिपा है, वह वेदव्यास ने दिया। पुराणों व उपपुराणों के रचना की शुरूआत की। भगवान वेदव्यास ने उस समय के सबसे बड़े राजवंश (कुरुवंश) को न केवल हर विपरीत परिस्थतियों में बचाया, बल्कि आठ-आठ पीढ़ियों का प्रत्यक्ष रूप से सार्थक निर्देशन व नेतृत्व, मार्गदर्शन किया। वे सदैव धर्म व न्याय के पथ पर चलते रहे। उसकी प्रेरणा देते रहे। उस समय स्थिति कितनी तनावपूर्ण व त्रासदीपूर्ण रही होगी कि जब भगवान वेदव्यास ने कहा कि मैं चिल्ला-चिल्लाकर बोल रहा हूं कि धर्म के मार्ग का अनुसरण करो। इससे ही अर्थ व कामनाओं की सिद्धि हो सकती है, लेकिन मेरी कोई सुनता नहीं है।

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